Seva hai yagy kund, Samidha sam hum jale lyrics - Rss Geet

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
सेवा विभाग - दिल्ली प्रान्त
सेवा पुस्तिका
गीत - सेवा है यज्ञ कुंड, समिधा सम हम जलें
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गीत प्रारंभ

सेवा है यज्ञ कुंड, समिधा सम हम जलें,
ध्येय महासागर में, सरित रूप हम मिलें ।
लोक योगक्षेम ही, राष्ट्र अभय गान है
सेवारत व्यक्ती-व्यक्ती, कार्य का ही प्राण है ॥
सेवा है यज्ञ कुंड--------------------


उच्च नीच भेद भूल, एक हम सभी रहें,
सहज बन्धूभाव हो, राग-द्वेष ना रहे,
सर्व दिक् प्रकाश हो, ज्ञानदीप बाल दे,
चरण शीघ्र द्रुढ बढे, ध्येय शिखर हम चढे॥1॥
सेवा है यज्ञ कुंड--------------------

मुस्कुराते खिल उठे, मुकुल पात पात में,
लहर लहर सम उठे, हर प्रघात घात में,
स्तुति निन्दा लाभ लोभ, यश विरक्ती छाँव से,
कर्मक्षेत्र मे चले, सहज स्नेह भाव से ॥2॥
सेवा है यज्ञ कुंड--------------------

दीन हीन सेवा ही, परमेष्टी अर्चना,
केवल उपदेश नही, कर्मरूप साधना
मन वाचा कर्म से ,सदैव एक रूप हो
शिव सुन्दर नव समाज, विश्व वन्द्य हम गढे ॥3॥
सेवा है यज्ञ कुंड--------------------

समाप्त

दूसरों की सेवा से ईश्वर प्रसन्न होते हैं.

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